Kapal Kundla
Bankimchnadra Chattopadhyay
EPUB
ca. 0,99 €
Belletristik / Gemischte Anthologien
Beschreibung
खेत में बीज पड़ जाए तो वह अपने आप अंकुरित हो जाता है। जब बीज अंकुरित होता है, तब कोई जान नहीं पाता- कोई देख नहीं पाता। किन्तु एक बार बीज पड़ जाए और बीज डालने वाला कहीं भी क्यों न रहे धीरे-धीरे अंकुर से वृक्ष सिर ऊँचा कर खड़ा हो जाता है। शुरू में वृक्ष उंगली बराबर होता है, जिसे देखकर भी कोई देख नहीं पाता। क्रमशः वह तिल-तिल बढ़ता जाता है और फिर वृक्ष आधा हाथ, एक हाथ, दो हाथ के बराबर हो जाता है। तब भी अगर उससे किसी की स्वार्थ-सिद्धि की संभावना न रहे तो उसकी ओर कोई देखता नहीं या देखकर भी नहीं देखता।
- बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय
Weitere Titel von diesem Autor
Weitere Titel in dieser Kategorie