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फिर वही रात

प्रकाश भारती

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Belletristik/Erzählende Literatur

Beschreibung

स्ट्रेचर पर पड़ी लाश के चेहरे के नाम पर जो कुछ बचा था उसकी सिर्फ एक झलक ही दिखाई दे सकी... फिर उस पर चादर डाल दी गई।
मृतक की उम्र कोई पच्चीसेक साल थी। नदी के पानी से भीगा और कीचड़ से सना उसका लिबास कीमती लगा। इससे ज्यादा कुछ और प्रशांत नोट नहीं कर सका।
उस वक्त रात का एक बजा था। तेज हवा और बूंदाबांदी के कारण सर्दी बहुत ज्यादा थी। इसके बावजूद खासी भीड़ जमा हो गई थी... पुलिसमैन लोगों को पीछे हटा रहे थे। जो पुलिस आफिसर अलग खड़े बातें कर रहे थे।
दो पुलिसमैन स्ट्रेचर उठाकर एंबुलेंस में रखने लगे।
भीड़ छंटनी शुरू हो गई।
तब प्रशांत का ध्यान पहली दफा उस लड़की की ओर गया। वह यूं खड़ी थी जैसे वही रुकी रहने का इरादा था। उसके हाथ बरसाती की जेबों में ठुंसे थे लेकिन बरसाती के पूरे बटन खुले थे और इस तरफ उसका कोई ध्यान नहीं था... अचानक वह सर से पांव तक काफी... सर पीछे की ओर झटका और गहरी गहरी सांसें लेने लगी...।
प्रशांत की निगाहें उसी पर जमीं थी। उसे अपनी ओर देखता पाकर वह पलटकर तेजी से चल दी...।
प्रशांत भी उसके पीछे चल दिया। उसकी कार उधर ही पाक्ड पार्क्ड थी।
लड़की सड़क पर पहुंचकर रुक गई। दोनों तरफ निगाहें दौड़ाईं।
अचानक धुंध और अंधेरे को चीरकर एक कार की हैडलाइट्स की रोशनी चमकी लड़की का जिस्म तन गया था। दोनों हाथों से चेहरा ढंके वह आगे बढ़ रही थी।
उसका भयानक इरादा भाप गया प्रशांत तेजी से झपटा... लगभग कार के पास जा पहुंची लड़की की पीठ में बांह डालकर फुर्ती से उसे पीछे खींच लिया। इस प्रयास में बुरी तरह लड़खड़ाया, संभल न पाने के कारण दोनों नीचे गिरे और लुढ़ककर सड़क के सिरे पर जा पहुंचे...।
इससे पहले कि प्रशांत उसकी इस हरकत की वजह पता लगा पाता लड़की उसे जूल देकर गायब हो गई...।
अगले रोज। प्रशांत ने तमाम अखबार छान मारे... नदी से बरामद लाश का कहीं कोई जिक्र नहीं मिला... पुलिस स्टेशन तक में साफ इंकार कर दिया गया कि नदी से कोई लाश बरामद हुई थी।
क्यों?
आखिर इतनी बड़ी घटना को छिपाने की कोशिश क्यों की जा रही थी???

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