Sparsh
Mohanlal Mishra 'Dheeraj'
Belletristik / Gemischte Anthologien
Beschreibung
आज भारत वर्ष में शीर्षस्थ पदों पर विराजमान लोग भ्रष्ट आचरण के दोषी हैं। समाज में भय, अशांति तथा घृणा का वातावरण है, सम्पूर्ण विश्व स्पर्धा प्रतियोगिता में इतना व्यस्त हो चुका है कि उसने मानवीय मूल्यों को तिलांजलि दे दी है। आये दिन हिंसात्मक घटनायें होती हैं, प्राकृतिक आपदाओं का आना ये सब विनाश की ओर ले जा रहा है। आज राष्ट्र में स्वतंत्रता दिवस पर स्वर्ण जयंती मनायी गयी। सरकारी उपक्रम के अन्तर्गत अनेक कार्यक्रम प्रदर्शित हुए। परन्तु दुःख है कि राष्ट्र प्रेमियों को स्थान नहीं मिला। भौतिक उन्नति की चर्चा की गयी। राष्ट्र के लिए सम्पूर्ण जीवन न्यौछावर करने वालों का अपमान। राष्ट्र की मानसिकता बदलने के लिए सांई दर्शन के प्रचार के साथ आत्मसात करना भी अति आवश्यक है। इस विश्वास के साथ खण्ड काव्य सांई बाबा प्रस्तुत है कि सभी पाठकगण त्रुटियों को क्षमा करते हुए मेरे भाव पर आशीर्वाद तथा स्नेह देने की महान कृपा करेंगे।