Mai jab-jab dekhata hun chand ko.
Himanshu Pathak
Beschreibung
About the book:
नमस्कार मेरे प्रिय पाठकों, आशा करता हूँ कि मेरी ये रचना,"मैं जब-जब देखता हूँ चाँद को।" आपको पसंद आएगी । आपका स्नेह ऐसे ही बना रहें । पाठकों मेरी ये पुस्तक श्रृंगार रस पर आधारित है, जिसमें अट्ठारह कविताएं हैं,जो आपको हँसाएंगी भी और गुदगुदायेंगी भी। कुछ रचनाएँ हो सकता है कि रूलाएँ भी; परन्तु क्या करें, ये प्रेम है ही ऐसा,जिसमें मिलन भी है और विरह भी; जहाँ एक ओर मिलन की प्रसन्नता है ,वही दूसरी ओर विरह की वेदना भी । कुल मिलाकर ,मेरी ये पुस्तक आपको ले जायेगी अतीत के पथ पर जहाँ ,खुशियों के रंग-बिरंगे पुष्प खिले होंगे, जिनकी खुशबु मे सरोबार हो आप प्रफुल्लित होंगे, ऐसा मेरा विश्वास है। आप यथार्थ की तपिश धूप भरे,कठोर दुनियाँ से निकल ,कल्पना की उस दुनिया में पहुँच जायेंगे, जहाँ आपको मिलेगा सिर्फ प्यार, प्यार और प्यार। इस पुस्तक के माध्यम से, मैं आपके जीवन में, खुशियों के रंग भरे भर सकूँ।