अन्जान अजनीबी

मुलाकात भी मुलाकात बन के रह गई। अधूरा तो रहना नहीं था हमें। फिर भी तंहा रह गए।।

आर्ची अडवाणी

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Belletristik / Krimis, Thriller, Spionage

Beschreibung

ये कहानी दो अजनबियों की है जो आखिर में भी बस अजनबी बन कर ही रह जाते है। उनकी किस्मत एक नही होती, पर उनके दिल एक दुसरे के लिये धड़कने शुरु हो जाते हैं। तो ये कहानी कुछ यूं शुरु होती है, कि एक मशहूर राजनतिक नेता कह लो या देह्सत की दुनिया का बेतहाज बादशाह सूर्य, जो सारी सरकार की भी सरकार है, और सारी दुनिया में अच्छो के लिये भगवान, तो वही बुरो के लिये शैतान। बहुत छोटी उम्र मैं सूर्य ने अपने दम पे अपना साम्राज्य खडा कर लिया। सूर्य जब पाँच साल का था तब ही उसके माँ बाप उसे छोड के चले गये थे, और बहुत ही छोटी उम्र में उसने अकेला रहना सिख लिया था।

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