श्रापित-प्रेम

Kavita Panthi

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Belletristik/Erzählende Literatur

Beschreibung

कहते हैं प्यार कहीं भी, कभी भी और किसी से भी हो जाता है लेकिन जिंदादिल, हंसमुख और नटखट कबीर को जिस आदमी से प्यार हुआ था वो उसके लिए बस एक पहेली था। एक ऐसी पहेली जिसने मौत के मुंह में जाते कबीर को जिंदगी की तरफ वापस खींचा था लेकिन उसके आंखों में कबीर के लिए न तो हमदर्दी थी और ना ही कोई लगाव। कुछ था तो बस बर्फ की हज़ार परतों से ढका सर्द चेहरा और उजालों की निगल जाने वाली काली डरावनी नज़रें जिनमें न जाने कितने रहस्य दफन थे।


लेकिन कबीर.... वो तो पहली नज़र में ही इन आंखों में अपना दिल खो चुका था, और उसने इस पत्थर दिल आद्विक के दिल में अपने लिए प्यार जगाने की ठान ली थी।


लेकिन कुछ और भी था जिससे कबीर और उसके दोस्त पूरी तरह से अंजान थे। वो नहीं जानते थे कि जिस मायागढ़ में वो छुट्टियां बिताने आए हैं, वो कोई साधारण जगह नहीं बल्कि भयानक प्रेतों का इलाका है। वहां की पुरानी हवेली के प्रेतराज और उनके प्रेत जिन्हें शैतान को खुश करने के लिए एक दैवीय पवित्र इंसान के प्राणों की बलि देने है उनकी नज़र उन चारों पर पड़ चुकी है। तो क्या कबीर या उसके दोस्तों में से कोई शैतान की बलि चढ़ेगा?


क्या प्रेत उन्हें आसानी से जाने देंगे?


कौन है आद्विक और क्या है वो रहस्य जिसकी वजह से वो कबीर के लिए एक पहेली है?


क्या कभी कबीर इस आद्विक नाम की पहेली को सुलझा पाएगा?


और क्या कबीर पत्थर दिल आद्विक के दिल में प्यार जगा पाएगा?


भयानक प्रेतों के बीच कबीर और आद्विक की दैवीय प्रेम कहानी आखिर कोन सा मोड़ लेगी?

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Schlagwörter

श्रापित प्रेम, Love, Horror bl, LGBTQ, Kavita, Gay romance, Bl fiction